पानी व कचरा प्रबंधन की समस्या से जूझ रहे स्वास्थ्य केंद्र I Health centers struggling with water and waste management problems

 दुनिया के हर तीसरे स्वास्थ्य केंद्र तक में नहीं है हाथ धोने की व्यवस्था

 यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ की संयुक्त रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कोविड-19 महामारी से बचाव के लिये भले ही हाथ धोना जरूरी हो गया हो, लेकिन दुनिया के अधिकांश  स्वास्थ्य केंद्रों तक में हाथ धोने की उचित व्यवस्था नहीं है। जी हां, हर तीसरे स्वास्थ्य केंद्र में यह व्यवस्था नहीं है। ऐसे में, स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों तक का जीवन खतरे में है। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ द्बारा जारी एक संयुक्त रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।


रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 47 सबसे कम विकसित देशों में तो स्थिति और भी ज्यादा बदतर है, क्योंकि इन देशों के करीब आधे स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है, जबकि 60 फीसदी में सैनेटाइजेान की व्यवस्था नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार इन देशों के हर 10 में से 7 स्वास्थ्य केंद्रों में कचरा प्रबंधन की भी व्यवस्था नहीं है। लिहाजा, ऐसे स्वास्थ्य केंद्र में काम करने वाले स्वास्थ्य अन्य कर्मियों का जीवन तो संकट में है ही, बल्कि यहां अपना उपचार करने वाले लोग भी स्वयं को खतरे में डाल रहे हैं। 

 विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के अनुसार इन स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए साफ पानी, स्वच्छता और जरूरी सुरक्षा उपकरणों की कमी भी एक बड़ी समस्या है, जिसको जल्द दूर किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब आज सारी दुनिया कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ने की कोशिश कर रही है, ऐसे में स्वास्थ्य से जुड़ी ये बुनियादी सुविधाओं का नहीं होना घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है, वह भी ऐसे स्थलों पर जहां लोग उपचार के लिये आते हैं। जब स्वयं स्वास्थ्यकर्मियों का ही जीवन खतरे में है तो वो मरीजों को इस खतरे से कैसे बाहर निकाल सकते हैं। यही वजह है कि मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के कोविड-19 के साथ ही अन्य तरह के संक्रमण की चपेट में आने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 

अधिकांश देशों के पास स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने का नहीं है रोडमैप

मौजूदा हालातों में स्वास्थ्य सबसे प्रमुख मुद्दा है। यह स्थिति एक या दो  देशों में ही नहीं है बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों में है, पर आलम यह है कि कोई भी कोविड-19 जैसी महामारियों से तत्काल निपटने की स्थिति में नहीं है। रिपोर्ट में इसके पीछे का कारण बेहतर रोडमैप का तैयार नहीं होना बताया गया है, जो स्वास्थ्य की खराब तैयारियों की एक भयावह तस्वीर को प्रस्तुत करता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के केवल एक तिहाई  देशों  ने ही इसे अहमियत दी है और इस समस्या को नेशनल हेल्थ सिस्टम में निगरानी के लिये शामिल किया है, जबकि दुनिया के अन्य देा इसको लेकर अभी भी लापरवाह बने हुये हैं। यह स्थिति तब है, जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है और लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 


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