जल्द कार्बन डाईऑक्साइड बैटरी की मदद से लांच होंगे अंतरिक्ष मिशन I Space missions will be launched soon with the help of carbon dioxide battery
आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर ने सफलतापूर्वक के किया प्रयोग
पेलोड के द्रव्यमान व ग्रहीय मिशनों की लाचिंग की लागत में आयेगी कमी
मंगल मिशन जैसे भारत के अंतरिक्ष मिशन जल्द ही पेलोड के भार को कम करने और ऊर्जा वाहक के रूप में कार्बन डाईऑक्साइड के साथ स्वदेशी रूप से विकसित धातु कार्बन डाईऑक्साइड बैटरी की मदद से लांच करने में सक्षम हो सकते हैं। दरअसल, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर चंद्र शेखर शर्मा ने हाल ही में पहली बार कृत्रिम मंगल ग्रह के वातावरण में लिथियम यानि कार्बन डाईऑक्साइड बैटरी की तकनीकी व्यवहार्यता को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है, जिसकी वजह से आने वाले दिनों में यह प्रयोग सफल होने की उम्मीद बढ़ गयी है।
चंद्र शेखर शर्मा आईआईटी हैदराबाद के केमिकल इंजीनियरिग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्बारा स्थापित स्वर्ण जयंती फैलोशिप भी हासिल की है। लिहाजा, वह भारत के मंगल मिशन के लिए एक ऊर्जा वाहक के रूप में कार्बन डाईऑक्साइड के साथ धातु-कार्बन डाई ऑक्साइड बैटरी की वैज्ञानिक समझ और तकनीकी विकास को विकसित करने के लिए काम करेंगे।
उनके द्बारा पहली बार किये गये कृत्रिम मंगल ग्रह के वातावरण में लिथियम-कार्बन डाईऑक्साइड बैटरी की तकनीकी व्यवहार्यता के प्रदर्शन से सबंधित अध्ययन को एल्सेवियर मटेरियल्स लेटर्स पत्रिका ने भी प्रकााित किया है। स्वर्ण जयंती फैलोशिप के एक भाग के रूप में उनका लक्ष्य धातु (एम)- सीओ2 बैटरी तकनीक का एक कार्यशील प्रोटोटाइप विकसित करना व मंगल मिशन में इस तकनीक की व्यवहार्यता का पता लगाना है। बताया जा रहा है कि इसके अंतर्गत विशेष तौर पर सतह के लैंडर और रोवर्स के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का उपयोग किया जायेगा, जो वातावरण में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। धातु-सीओ2 बैटरी का विकास द्रव्यमान और मात्रा में कमी लाने के साथ ही अत्यधिक विशिष्ट ऊर्जा घनत्व प्रदान करेगा, जो पेलोड के भार में कमी लायेगा और ग्रहों के मिशन की लांच लागत को कम करेगा।
बैटरी प्रौद्योगिकी भी होगी विकसित
इस शोध का एक अन्य समानांतर पहलू धातु-सीओ2 बैटरी प्रौद्योगिकी का विकास करना भी होगा, जो कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के जलवायु प्रभावों पर रोक लगाने के लिए एक आशाजनक स्वच्छ रणनीति के रूप में सामने आया है। प्रोफेसर चंद्र शेखर शर्मा के अनुसार धातु-सीओ2 बैटरियों में वर्तमान में उपयोग की जाने वाली ली-आयन बैटरियों की तुलना में काफी अधिक ऊर्जा घनत्व प्रदान करने और सीओ2 उत्सर्जन को संतुलित करने के लिए एक उपयोगी समाधान प्रदान करने की एक बड़ी क्षमता है, जो ऊर्जा-गहन पारंपरिक सीओ2 निर्धारण विधियों से कहीं बेहतर है, जो ग्रहों के मिशन लांचिंग की जटिलताओं को आसान करने में काफी मदद्गार साबित होगा।
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