दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के मिजाज में आया बदलाव I Changes in the mood of Delhi-NCR pollution
- सीएसई द्बारा किये गये विश्लेषण में सामने आया यह तथ्य
- लाकडाउन में कम था प्रदूषण, पर अब अचानक हुयी बढ़ोतरी
कोविड-19 की वजह से लगे लाकडाउन के दौरान भले ही कुछ महीनों तक दिल्ली-एनसीआर को जहरीली हवा से निजात मिली हो, लेकिन अब जब सबकुछ यहां अनलाक हो रहा है तो एक फिर प्रदूषण की भी वही मार शुरू हो गयी है। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछली सर्दियों के मुकाबले इस बार की सर्दियों में प्रदूषण के मिजाज में भारी बदलाव नजर आ रहा है। दरअसल, सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्बारा प्रदूषण के विलेषण के दौरान यह चीज सामने आयी है। रिपोर्ट में प्रदूषण करने वाले क्षेत्रों में सुधार और कार्रवाई सख्त जरूरत बतायी गयी है।
बता दें कि इस साल लाकडाउन के कारण पिछले कुछ महीनों में पीएम 2.5
का औसत स्तर कम रहा, लेकिन सर्दियों में होने वाली वृद्घि को नहीं रोका जा सका है, जिससे प्रदूषण खतरनाक और बदलाव के मानकों को छू रहा है यानि अक्टूबर और नवंबर के दौरान पीएम 2.5
का स्तर फिर बढ़ गया था। आलम यह रहा कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से हाल के वर्षों की तुलना में नवंबर महीना सबसे अधिक प्रदूषित रहा। आकड़े बताते हैं कि प्रदूषण के स्तर में दिल्ली में 9.5
गुना वृद्घि हुई, गाजियाबाद में 11 गुना तक वृद्घि हुई, इसके बाद नोएडा में 9.2
गुना, गुरुग्राम में 6.4
गुना और फरीदाबाद में 6.2
गुना वृद्घि हुयी।
सीएसई ने एनसीआर के शहरों और कस्बों के वार्षिक औसत की तुलना दिल्ली और चार बड़े शहर (गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद) से की। विलेषण से पता चलता है कि पीएम 2.5
के वार्षिक औसत स्तर के बहुत कम होने पर, एनसीआर के अन्य छोटे शहरों और कस्बों में सर्दियों के दौरान स्तर अधिकतम, लगभग समान होता है, जब पूरे क्षेत्र में हवा बहनी बंद हो जाती है। यहां तक कि दिल्ली, जहां हाल के वर्षों में सालाना आधार पर वार्षिक औसत स्तर में गिरावट देखी गई है, ऐसे में इस बार सर्दी शुरू होते ही प्रदूषण का अचानक बढ़ जाना बेहद चिंताजनक है।
वायु का स्तर और हो सकता है खराब
सीएसई के विशेषज्ञों के मुताबिक भले ही 2020 में 11 महीनों के दौरान पीएम 2.5 का कुल औसत स्तर पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम रहा, लेकिन सर्दियों में पीएम 2.5 का स्तर दिल्ली-एनसीआर में वायु के स्तर को बहुत खराब तथा गंभीर बना सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक विशिष्ट पूर्वानुमान है, जब सर्दियों में स्थानीय स्रोतों से लगातार उत्सर्जन और बायोमास जलने से होने वाले प्रदूषण और मौसम संबंधी परिवर्तनों के कारण यह हो रहा है, लेकिन इस वर्ष, पिछले वर्ष की तुलना में स्मॉग की घटनाओं में कमी दिखाई दी है, जो मिजाज में एक तरह का बदलाव है।
बेहतर रणनीति पर काम करना जरूरी
अमुमन, जब सर्दियां शुरू होती हैं तो वायु भी जहरीली होने लगती है। पीएम 10 में सूक्ष्म कणों की (पीएम
2.5) की हिस्सेदारी बढ़ जाती है। पीएम 10 एकाग्रता में महीन कणों का हिस्सा हवा की विषाक्तता को निर्धारित करता है, लेकिन मजे की बात यह है कि लाकडाउन के दौरान, जब सभी कणों ने पीएम 10 के स्तर को कम कर दिया था, जिससे पीएम 2.5 का स्तर भी नीचे आ गया था। पर अब अचानक इसमें बढ़ोतरी होना खतरनाक है। ऐसे में, प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक बदलाव करने होंगे। पावर प्लांट के मानकों को लागू करने के साथ ही उद्योग से कोयले को भी खत्म करना होगा, साथ ही सार्वजनिक परिवहन और निजी वाहन नियंत्रण उपाय और कचरे का प्रबंधन शून्य अपशिष्ट और शून्य लैंडफिल रणनीति अपनानी होगी।
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