तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल से बढ़ रहा ई-कचरा
2019 के मुकाबले 2020 में ई-कचरे में हुई 32 प्रतिशत की वृद्धि
2018 और
2019 के बीच महज 7 प्रतिशत ही था अंतर
देश में तकनीकी उपकरणों के बढ़ते उपयोग के साथ ही ई-कचरा उत्पादन में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
2019 के मुकाबले 2020 में ई-कचरे के उत्पादन 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 2018 और 2019 के बीच यह अंतर महज 7 फीसदी ही था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर हुआ है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने दो वर्षों के दौरान इसमें 50 प्रतिशत की वृद्घि हो सकती है।
दीगार बात है कि तकनीकी विकास के साथ लोगों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। जैसे ही, नई तकनीकी बाजार में आती है, लोग अपने उपकरणों को बदल देते हैं, नतीजन ई-कचरे में भी वृद्घि होने लगती है। सीबीसीपी की रिपोर्ट के मुताबिक ई-वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम-2016
में सूचीबद्घ 21 प्रकार के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ध्यान में रखा गया है, इनमें मुख्यतया कंप्यूटर मॉनीटर, मोबाइल फोन, चार्जर, मदरबोर्ड, हेडफोन, टेलीविजन सेट शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ई-कचरे में वृद्घि होने का मतलब है कि लोग समय के साथ-साथ ऐसे उपकरणों के क्रेजी होते जा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश ने
2018-19 में 10 प्रतिशत यानि 771,215 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-कचरा) पैदा किया, जबकि 2017-18 में 3.5 प्रतिशत यानि 708,445 टन ई-कचरे का उत्पादन हुआ था। वहीं, 2019-20 में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत बढ़कर 1,014,961 टन हो गया। हालांकि नियमों के आधार पर संग्रह लक्ष्य से कम रहा।
2017-18 और 2018-19 के लिए यह लक्ष्य क्रमश: 35,422 और 1,54,242 टन था। पर 2017-18 में 25,325 टन और 2018-19 में 78,281 टन ही ई-कचरे का संग्रह किया जा सका।
1,630 उत्पादकों को दिया गया था ईपीआर प्राधिकार
पर्यावरण मंत्रालय ने वैश्विक मानकों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के संग्रह की अनुमति दी है। यानि जब उत्पाद की लाइफ समाप्त हो जाती है, तो ई-कचरे के तौर पर उसे एकत्रित किया जा सकता है। प्रदूषण बोर्ड के अनुसार 26 नवंबर,
2020 तक इसके लिए 1,630 उत्पादकों को विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी यानि ईपीआर प्राधिकार दिया गया था, इसके अलावा, 312 डिसेंटलर्स या रिसाइकलर्स को उसी अवधि में 782,080.2 टन प्रति वर्ष ई-कचरे के प्रसंस्करण की क्षमता के साथ अधिकृत किया गया था, पर इन इकाइयों ने 2017-18 में 69,413 टन ई-कचरा और 2018-19 में 164,663 टन का प्रसंस्करण किया। अधिकारियों के अनुसार पिछले साल सितंबर में सीपीसीबी ने 2018-19 के लिए संग्रह लक्ष्यों को पूरा नहीं करने के लिए 186 उत्पादकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। वहीं, नवंबर में 292 ऐसे उत्पादकों को चेतावनी दी गई थी, जिनके पास संग्रह केंद्र या तो गैर-अनुपालन योग्य थे या गैर-ट्रेस करने योग्य थे। लिहाजा, उनके ईपीआर प्राधिकार को रद्द करने और ई-कचरा नियमों के के तहत कार्रवाई करने का नोटिस दिया गया था।
Post a Comment