गर्मी के मौसम में भी होगी गेहूं की अच्छी पैदावार
वैज्ञानिक गेहूं की ऐसी किस्म विकसित करने में जुटे
भोजन की जरूरतों को पूरा करने में मिलेगी मदद
आने वाले दिनों में गर्मी के मौसम में भी गेहूं की अच्छी पैदावार होने लगेगी। वैज्ञानिक गेहूं की ऐसी ही किस्म विकसित करने में जुट गए हैं। इससे न केवल गेहूं की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि भोजन की जरूरतों को पूरा करने में भी काफी मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि गेहूं भोजन की जरूरतों को पूरा करने का प्रमुख माध्यम है। यह अनाज दुनिया की एक तिहाई आबादी की भोजन की जरूरतों को पूरा करता है। पर इस अनाज के साथ समस्या यह है कि गर्म मौसम के कारण इस पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उम्मीद के अनुरूप पैदावार नहीं हो पाती है। भारत में अक्सर हर सीजन में ऐसा देखने को मिलता है। पर आने वाले दिनों में देश में यह संकट दूर हो जाएगा और गर्म मौसम में गेहूं की अच्छी पैदावार हमें देखने को मिलेगी।
दरअसल, इस चुनौती से निपटने का काम पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायो रिसोर्सेज टेक्नोलॉजी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डा. विजय गहलोत द्बारा किया जा रहा है। वह गेहूं की नई किस्म ही विकसित करने में जुटे हुए हैं, जिस पर गर्म मौसम का कोई भी असर नहीं होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी उनके इस प्रयास को काफी प्रोत्साहित कर रहा है। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि डा. विजय की अनुवांशिक रूप से संवर्धित गेहूं की ऐसी किस्म को तलाशने का प्रयास सराहनीय है। उनके अध्ययन ने गेहूं की पैदावार बढ़ाने की उम्मीद को जगा दिया है। उनके द्बारा नई किस्म विकसित करने के साथ ही यह कोशिश
भी की जा रही है कि उसके डीएनए क्रम में कोई मूल बदलाव बिल्कुल भी ना हो।
डा. विजय आने वाले दिनों में गर्मी सह सकने वाली गेहूं की किस्म में दाने आने के विभिन्न चरणों के दौरान डीएनए मिथाइलेशन की भूमिका का भी अध्ययन करेंगे, जिससे नई किस्म अपना बेहतर रिजल्ट दे। दरअसल, मिथाईलेशन प्रक्रिया एक जैविक प्रक्रिया है, जिसमें मिथाइल समूहों को डीएनए के अणुओं के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने इसके लिए एपीजेनामिक मैपिंग प्रकिया अपनाने का प्रस्ताव किया है। यह प्राकृतिक रूप से होने वाले एपीजेनेटिक बदलाव को पहचानने में भी मदद करेगी।
एपीजेनामिक जनरल में प्रकाशित हो चुका है शोध
डा. विजय गेहूं की नई किस्म को विकसित करने के लिए लंबे समय से शोध कर रहे हैं। उनके द्बारा किया गया शोध एपीजेनामिक जनरल में भी प्रकाशित हो जा चुका है। इस शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से गर्म मौसम में गेहूं के सी-5 एमटेस जीन में बदलाव देखने को मिलता है। डा. विजय के मुताबिक मिथाइलेशन प्रक्रिया के जरिए गेहूं के एक समान जीनों को परिवर्तित रूप में इस्तेमाल करने के उनके अध्ययन से गेहूं की ऐसी किस्म विकसित करने में पूरी मदद मिलेगी, जो गर्म जलवायु में भी अच्छी पैदावार दे सकेगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही यह किस्म विकसित करने में सफलता मिल जाएगी।
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