केंद्रीय बजट : 34.5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ 5.54 लाख करोड़ रुपये होगा पूंजीगत व्यय

अच्छी प्रगति वाली परियोजनाओं, कार्यक्रमों विभागों को मिलेगी 44,000 करोड़ रुपये से 

ज्यादा धनराशि

राज्यों और स्वायत्त संस्थाओं को पूंजीगत व्यय के लिए मिलेंगे 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्द्रीय बजट 2021-22 पेश करते हुए 5.54 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान (बीई) के साथ पूंजीगत व्यय में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है, जो पिछले वित्त वर्ष के बजट अनुमान (4.12 लाख करोड़ रुपये) से 34.5 प्रतिशत ज्यादा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि संसाधनों की कमी के बावजूद सरकार का प्रयास ज्यादा पूंजी व्यय करने का रहा है और ऐसा अनुमान है कि 2020-21 के दौरान लगभग 4.39 लाख करोड़ रुपये पूंजी खर्च होगी।



उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों के विभाग के बजट में 44,000 करोड़ रुपये से ज्यादा पूंजीगत बजट रखा गया है और इसे ऐसी परियोजनाओं, कार्यक्रमों, विभागों को उपलब्ध कराया जाएगा, जिन्होंने अच्छी प्रगति प्रदर्शित की है और जिन्हें अतिरिक्त धनराशि की जरूरत है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों और स्वायत्त संस्थाओं को 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार राज्यों को अपने बजट का ज्यादातर हिस्सा अवसंरचना पर व्यय करने को प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष तंत्र विकसित करेगी, जिसका राज्यों को बेहतर लाभ मिलेगा।

पहला डिजिटल केंद्रीय बजट पेश करते हुए केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई 2021 में जारी है और कोविड के बाद जब दुनिया में राजनीतिक, आर्थिक, और रणनीतिक संबंध बदल रहे हैं, इतिहास का यह क्षण, नये युग का सवेरा है-ऐसा युग जिसमें भारत वायदों और उम्मीदों की धरती के रूप में उभरा है।

 स्वास्थ्य और खुशहाली में होंगे 2,23,846 करोड़ रुपये का व्यय

केंद्रीय वित मंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 में स्वास्थ्य और खुशहाली में 2,23,846 करोड़ रुपये का व्यय रखा है, जबकि 2020-21 में यह 94,452 करोड़ रुपये था। यह 137 प्रतिशत वृद्घि को दर्शाता है। वहीं, स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए तीन क्षेत्रों निवारक, उपचारात्मक, सुधारात्मक को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। वहीं, टीकाकरण को लेकर भी बजट में विोष रूप से फोकस किया गया है, जिसे सरकार की तरफ से स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए बेहतर कदम बताया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में कोविड-19 टीके के लिए 35,000 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। मेड इन इंडिया न्यूमोकोकल वैक्सीन जल्द पांच राज्यों के साथ ही देशभर में जाएंगी, जिससे हर वर्ष 50,000 बच्चों की मौतों को रोका जा सकेगा।

इसके अलावा प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के लिए 6 वर्ष में 64,180 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे, जिससे एक नई केन्द्र प्रायोगिक योजना, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त शुरू किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के अंतर्गत मुख्य रूप से जो पहल की गई हैं, उनमें 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र बनाए जाने की योजना रखी गई है। वहीं, 4 वायरोलॉजी के लिए 4 क्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थान भी बनाए जाएंगे, जबकि 15 स्वास्थ्य आपात ऑपरेशन केन्द्र और 2 मोबाइल अस्पताल भी बनेंगे। सभी जिलों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं और 11 राज्यों में 33,82 ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा 602 जिलों और 12 केन्द्रीय संस्थानों में क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉक भी स्थापित किए जाएंगे। 

जल

- जल जीवन मिशन (शहरी) के लिए पांच वर्ष में किए जाएंगे 2,87,000 करोड़ रुपये व्यय।

- 2.86 करोड़ परिवारों को दिए जाएंगे नल कनेक्शन।

- सभी 4,378 शहरी स्थानीय निकायों में सर्वसुलभभजल की जाएगी आपूर्ति।

- 500 अमृत शहरों में किया जाएगा तरल कचरा प्रबंधन।

शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0

- शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के लिए पांच वर्ष की अवधि में किया जाएगा 1,41,678 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय आवंटन।

- पूर्ण मल-मूत्र प्रबंधन और अपशिष्ट जल शोधन की व्यवस्था पर दिया जाएगा जोर।

 प्लास्टिक के प्रयोग में कमी लाना 

- निर्माण और विध्वंस के कार्याकलापों के कचरे का प्रभावी रूप से प्रबंध करके वायु प्रदूषण में कमी लाई जाएगी।

- सभी पुराने डम्प साइटों के बायो उपचार पर किया जाएगा ध्यान केंद्रित। 

वायु प्रदूषण

- वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 42 शहरी केन्द्रों के लिए 2,217 करोड़ रुपये की राशि कराई जाएगी मुहैया। 

सड़क एवं राजमार्ग अवसंरचना

- सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय को किए गए 1,81,101 लाख करोड़ रूपये आवंटित।

- 5,35 लाख करोड़ रूपये की भारतमाला परियोजना के तहत 3.3 लाख करोड़ रूपये की लागत से किया जाएगा 13,000 किमी लंबी सड़कों का निर्माण। 

- 3,800 किलोमीटर लंबी सड़कों का हो चुका है निर्माण। 

- मार्च, 2022 तक बनाई जाएंग 8,500 किलोमीटर लम्बी सड़के। 

- 11,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारे भी मार्च, 2022 तक कर लिए जाएंगे पूरे।

- कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस-वे: राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-27 के लिए वैकल्पिक 63 किलोमीटर के एक्सप्रेस-वे का कार्य जल्द होगा शुरू। 

- दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा: 210 किलोमीटर की गलियारे का कार्य मौजूदा वित्त वर्ष में शुरू होगा। 

रेलवे

- रेलवे के लिए प्रदान की गई है 1,10,055 करोड़ रुपये की राशि। जिसमें से 1,07,100 करोड़ रुपये का होगा पूंजीगत व्यय। 

- 2030 तक भविष्य के लिए तैयार रेल व्यवस्था बनाने पर दिया जाएगा विोष जोर। 

- दिसम्बर, 2023 तक ब्रॉड-गेज मार्गों पर शत-प्रतिशत किया जाएगा विद्युतिकरण। 

 शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को किया जाएगा मजबूत

शहरी क्षेत्रों में बढèती आबादी के चलते बेहतर परिवहन व्यवस्था आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। महानगरों में तो परिवहन व्यवस्था ठीकठाक है, लेकिन ऐसे शहरों से जुड़े दूर-दराज के क्षेत्रों छोटे शहरों में अभी भी बेहतर परिवहन का अभाव है। लेकिन सरकार की योजना इस कमी को दूर करने की है, जिसकी साफ झलक केंद्रीय बजट में देखने को मिली। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार का विोष फोकस उत्तर प्रदेा सहित अन्य राज्यों के शहरी क्षेत्रों में मेट्रो रेल नेटवर्क के विस्तार और सिटी बस सेवा को बढ़ाने पर होगा। 

सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं का विस्तार करने के लिए 18,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना शुरू की जाएगी। बकायदा, इसके तहत नवोन्मेषी पीपीपी मॉडल लागू किया जाएगा, जिसके तहत निजी क्षेत्र के परिचालकों को 20,000 से ज्यादा बसों की खरीद, परिचालन, रख-रखाव और वित्त का प्रबंधन करने का अवसर दिया जाएगा। इस योजना से ऑटोमोबाइल क्षेत्र को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज होने की सरकार को पूरी उम्मीद है। इससे बड़ी बात यह है कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सामने आएंगे। 

जहां तक मेट्रो के विस्तार का सवाल है, उसको लेकर भी सरकार की योजना बड़ी है। फिलहाल, देश में इस समय करीब 702 किलोमीटर पारम्परिक मेट्रो ट्रेनें चल रही हैं और 27 शहरों में 1,016 किलोमीटर लम्बी मेट्रो तथा आरआरटीएस लाइनों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन सरकार 'मेट्रो लाइट और 'मेट्रो नियो जैसी दो नई प्रौद्योगिकियां लागू कर आम लोगों को काफी कम कीमत पर और पहले जैसा अनुभव देने वाली मेट्रो रेल प्रणाली देना चाहती है। लिहाजा, यह प्रणाली टियर-2 और टियर-1 शहरों के आस-पास बसे इलाकों में आसान और सुरक्षित आवागमन की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी।

तीन मेट्रो परियोजनाओं के लिए निर्धारित किया बजट 

केंद्रीय वित मंत्री ने जिन मेट्रो रेलवे को लेकर बजट में प्रावधान रखा है, उनमें मुख्य रूप से 11.5 किलोमीटर लम्बा कोच्चि मेट्रो रेलवे के फेज-थ्री का निर्माण शामिल है, जिसमें 1,957.05 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वहीं, 63,246 करोड़ रुपये की लागत से 118.9 किलोमीटर लम्बा चेन्नई मेट्रो रेलवे फेज-2 का भी निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 14,788 करोड़ रुपये की लागत से 58.19 किलोमीटर लम्बा बेंगलुरु मेट्रो रेलवे प्रोजेक्ट फेज-2 और 2बी, 5,976 करोड़ रुपये की लागत से नागपुर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट फेज-2 और 2,092 करोड़ रुपये की लागत से नासिक मेट्रो का निर्माण भी शामिल होगा।

 

 

 

 

 


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