कोरोना की दूसरी लहर में क्यों पस्त है उत्तर प्रदेश ? | Why is Uttar Pradesh battered by the second wave of Corona?


 कोरोना की पहली लहर में स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल रहा उत्तर प्रदेश, कोरोना की दूसरी लहर में पस्त नजर आने लगा है। प्रदेश में कोरोना से हालात बेहद खराब हैं। कई जिलों में स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो रही हैं। स्वयं राजधानी लखनउ में ऐसे हालात बने हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सरकार के कई अफसर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं, हरिद्घार में संतों का आर्शीवाद लेने गए सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी संक्रमित होकर लौटे हैं। राज्य में इन हालातों के बाद भी पंचायत चुनाव की तैयारियां भी हो रही हैं। प्रत्याशी प्रचार करने में जुटे हुए हैं। क्या ऐसे में चुनाव कराए जाने चाहिए, यह बड़ा सवाल बन गया है। सरकार के अंदर से स्वयं मांग उठने लगी है कि पंचायत चुनावों की तारीख को आगे बढ़ा देना चाहिए। क्योंकि चुनाव से ज्यादा जरूरी लोगों की जान बचाना है  



स्वयं बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने ट्विीट के जरिए निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव टालने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि निर्वाचन आयोग से मेरी अपील है कि लखनऊ में कोरोना कंट्रोल से बाहर है। लखनऊ में कई हजार परिवार कोरोना की चपेट में बुरी तरह बर्बाद हो रहे हैं और श्मशान घाटों पर लाशों के ढेर लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि चुनाव जरूरी नहीं है, लेकिन लोगों की जान बचाना जरूरी है। इसलिए निर्वाचन आयोग को तत्काल संज्ञान में लेकर पंचायत के चुनाव को लखनऊ में निर्धारित मतदान की तिथि से एक महीना आगे बढ़ा देना चाहिए। आपको बता दें कि कौशल किशोर लखनऊ से सिटी मोहनलाल गंज से भाजपा के सांसद हैं। वह भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। सांसद ने अपने ट्वीट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी के साथ ही सीएमओ दफ्तर समेत कई लोगों को टैग भी किया है। 

आइए अब आपको आकड़ों से भी बताने की कोशिश करते हैं कि राज्य में कोरोना की भयावह स्थिति का हाल क्या है। जी, मात्र 13 दिनों में सूबे में कोरोना के सात गुना नए केस बढ़े हैं। इस दौरान एक दिन में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी नौ गुना से अधिक बढ़ी है, जबकि कुल सक्रिय केसों की संख्या भी इस अवधि में करीब आठ गुना बढ़ी है। 

सूबे में पहली अप्रैल को 2600 नए केस मिले थे और तब 09 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी। उस दिन प्रदेश में कुल सक्रिय केसों की संख्या 11 हजार 918 थी। वहीं, 13 अप्रैल तक यह आकड़ा 18 हजार के पार हो गया था। और एक दिन में मरने वालों का आकड़ा भी 85 तक पहुंच गया था। वहीं, कुल सक्रिय केसों का आकड़ा 95 हजार 980 के पार हो गया है। हालात राजधानी लखनउ के अलावा प्रयागराज, कानपुर और वाराणसी में भी बहुत अधिक खराब हैं। कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को आइसोलेट कर लिया है। सरकार में तैनात कई बड़े अधिकारी भी कोरोना की चपेट में हैं और अखिलेश यादव हरिद्घार तो गए थे संतों का आर्शीवाद लेने, पर लौटे कोरोना संक्रमण लेकर। लखनउ के शव गृहों की लगातार खबर रही है कि वहां लोगों का ढेर लगा हुआ है। उधर, केंद्र सरकार को केंद्र सरकार को सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा स्थगित और 10वीं की परीक्षा रद्द करानी पड़ी हैं। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। 12वीं की परीक्षा 4 मई से 14 जून 2021 के बीच आयोजित होनी थीं, अब इन परीक्षाओं को बाद में आयोजित किया जाएगा, वहीं रद्द कर दी गईं 10 वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम सीबीएसई की ओर से तैयार की जाने वाली असेसमेंट पद्घति से किया जाएगा। 

 कुल मिलाकर, पूरे देश में जो हालात बने हुए हैं, ऐसे में सरकार क्या सोच रही है, यह समझना काफी मुश्किल है। जब कोरोना की पहली लहर में कम मामलों के बावजूद भी जबरदस्त सख्ती बरती जा रही थी, तो अब सरकार किस चीज का इंतजार कर रही है। 


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