अभी ठंडा नहीं पड़ने वाला है अमिंरदर, सिद्घू विवाद

  

आखिरकार, नवजोत सिंह सिद्घू के साथ बढ़ते टकराव के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को कांग्रेस हाईकमान की तरफ से बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी के सामने उपस्थित होना ही पड़ा। पर मीटिंग के तथ्यों को वह जिस तरह छुपा गए और सिर्फ चुनावी चर्चा की बात कहने लगे, उससे केवल उन्होंने सिद्घू के साथ चल रहे विवाद को भी दबाने की कोशिश की, बल्कि राजनीतिक कुशाग्रता भी दिखाई। पर सिद्घू के साथ जिस तरह उनका विवाद खुलकर सामने आया है, उसको तो वह अब छुपा सकते हैं और ही दबा सकते हैं क्योंकि यह लड़ाई अब अमिंरदर सिंह और सिद्घू के बीच की ही लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि दोनों की पत्नियां भी इस विवाद में कूद गईं हैं और खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं। इसीलिए आने वाले दिनों में पंजाब के राजनीतिक गलियारों में विवाद दिखें, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस हाईकमान द्बारा गठित कमेटी के साथ बैठक के बाद अमिंरदर सिंह ने क्या कहा, इसकी चर्चा फिर करेंगे। आइए पहले आपको बतातें कि दोनों नेताओं की पत्नियां किस तरह एक-दूसरे के प्रति हमलावर बनी हैं और उन्होंने किस तरह की बयानबाजी कर इस राजनीतिक ड्रामे को हवाबाजी देने की कोशिश की है। 



दरअसल, पहले इस मामले में बयानबाजी कैप्टन अमिंरदर सिंह की पत्नी लोकसभा सांसद परणीत कौर की तरफ से की गई। उन्होंने इस पूरे विवाद पर बोलते हुए कहा कि सिद्घू को इस महामारी के दौरान अपने चुनावी क्षेत्र में जाकर काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग सुरक्षित रहें। साथ ही, उनका यह भी कहना था कि अगर, सिद्घू के कोई मसले थे तो वह सीएम से बात कर सकते हैं या फिर हाईकमान के सामने रख सकते हैं।

 पर बात अमिंरदर सिंह की पत्नी की बयानबाजी पर ही खत्म नहीं हुई, बल्कि राजनीतिक बयानबाजी के विवाद में नवजोत सिंह सिद्घू की पत्नी भी कूद पड़ीं। उन्होंने मुख्यमंत्री की पत्नी द्बारा दिए गए बयान पर जबदरस्त पलटवार किया और कहा कि जब कोरोना तबाही मचा रहा था, तब पूरे एक साल तक आप लोग पटियाला में होकर अपने फॉर्महाउस में थे। उन्होंने यह भी कहा कि आप अमृतसर ईस्ट यानि सिद्घू के चुनाव क्षेत्र की बिल्कुल भी चिंता  करें, हम पूरी कुशलता के साथ उसकी देखभाल कर रहे हैं। 

वैसे, कैप्टन के खिलाफ नाराजगी केवल सिद्घू को ही नहीं है, बल्कि अन्य नेताओं के बीच भी नाराजगी है, पर सिद्घू मुखर हैं, लेकिन अन्य नेता इतने मुखर रूप से बयानबाजी नहीं कर रहे हैं, लेकिन राज्य के सियासी हालकों में हालात ऐसे हैं कि कैप्टन की कार्यशैली सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर उन्हें बहुत सारे लोग हटाने के पक्षधर हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान चुनाव से पहले ऐसा कोई कदम उठाए ऐसा नहीं लगता है। जैसा कि सूबे के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने राज्य में कलहबाजी से इनकार करते हुए कहीं कहीं अमिंरदर का बचाव ही किया। उनका कहना था कि पार्टी की परंपरा रही है कि जिस राज्य में चुनाव होने वाले हैं, वहां क्या रणनीति होनी चाहिए, क्या मुद्दे होने चाहिए, जनता के सामने क्या बातें रखनी चाहिए, उन पर विचार विमर्श होता है। यह कवायद पहली बार और आखिरी बार नहीं हो रही है। 

आपको यह भी बता दें कि पिछले तीन-चार दिनों में पंजाब कांग्रेस में चल रही खींचतान को दूर करने के लिए बनी कमिटी लगभग 80 से ज्यादा नेताओं से मिलकर उनकी राय पक्ष जान चुकी है। इनमें विधायकों के अलावा सांसद भी शामिल रहे। इसी क्रम में मुख्यमंत्री कैप्टन अमिंरदर सिंह शुक्रवार को तीन सदस्यीय कमेटी के सामने पेश हुए, इस कमेटी के सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे, जय प्रकाश अग्रवाल और हरीश रावत शामिल हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने कमेटी के सामने करीब दो घंटे तक अपनी बात रखी, हालांकि जब वह मीटिंग के बाद बाहर निकले तो उन्होंने सिद्घू के साथ विवाद को लेकर कुछ भी नहीं कहा, बल्कि इतना भर कहा कि ये चर्चाएं पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में हो रही हैं। पर उन्होंने इस पर विस्तार से टिप्पणी देने बजाय यह कहा कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है और आंतरिक चर्चा का कोई जिक्र नहीं किया जा सकता है। कमेटी से जो विचार-विमर्श हुआ, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। 6 माह के बाद पंजाब में इलेक्शन होने हैं उस पर ही विचार हुआ। 

खैर, अमरिंदर सिंह ने भले ही कमेटी के सामने पेशी के दौरान क्या बातचीत हुई, उस संबंध में खुलकर बात नहीं की हो, पर आने वाले दिनों इस मामले की सच्चाई तो सामने ही जाएगी। 







 

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