कभी ज्योति बसु भी रहे अलपन बंदोपाध्याय की कर्तनिष्ठता के कायल


बीते कुछ दिनों से अलपन बंदोपाध्याय का नाम राजनीतिक हलकों में जोर-शोर से लिया जा रहा है। पर बहुत कम लोग उनके बारे में गहराई से जानते होंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में भले ही उन्हें अधिकांश  लोग जानते भी हों, पर यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने से पहले एक पत्रकार थे। 31 मई को राज्य के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्ति लेने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार बना दिया है। उनका यह ऐलान चौंकाने वाला इसीलिए भी है, क्योंकि केंद्र सरकार ने उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन दे दिया था, पर वह उन्हें पश्चिम बंगाल से हटाकर दिल्ली बुलाना चाहती थी, पर ऐसा इसीलिए नहीं हो पाया, क्योंकि अलपन ने दिल्ली जाने के बजाय सेवानिवृत्ति का रास्ता चुना। और उनके सेवानिवृत्ति लेते ही ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहाकार नियुक्त कर दिया। ममता का यह केंद्र को केवल करारा जबाब था, बल्कि अलपन बंधोपाध्याय की राज्य के लिए अहमियत भी। ऐसी परिस्थिति में यह जानना बेहद अहम हो जाता है कि यह व्यक्ति आखिर है कौन ? और राज्य के लिए अभी इनकी सेवाओं की जरूरत क्यों है ? क्यों ममता बनर्जी उन पर इतना भरोसा करती हैं ? ममता ही नहीं, कभी ज्योति बसु भी इनकी कर्तनिष्ठता के कायल थे । जब ज्योति बासु राज्य के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान भी अल्पन को महत्वपूर्ण जगहों पर पोस्टिंग दी गईं थीं 



1961 में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जन्मे अलपन की पढ़ाई-लिखाई भी इसी शहर में हुई। उन्होंने स्कूली शिक्षा नरेंद्रपुर रामकृष्ण मिशन से ली और प्रेसिडेंसी कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया और फिर कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पीजी कंप्लीट किया। यहीं उनकी मुलाकात सोनाली चक्रबर्ती बनर्जी से हुई, जिनसे आगे चलकर उन्होंने शादी की। उनके शुरूआती करियर के बारे में बात करें तो उन्होंने मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में आए। 1987 में उन्होंने आईएएस का परीक्षा पास की थी। प्रशासनिक सेवा में आने के बाद उन्होंने राज्य के कई जिलों को जिलाधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं और वह राज्य के मुख्य सचिव के पद तक पहुंचे, जो उनके शानदार करियर की कहानी को बताता है। एक पत्रकार रहने के साथ ही एक कुशल और सफल प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते वह राज्य के विकास में आए हर उतार-चढ़ाव के साक्षी रहे हैं।

ऐसे में, अभी जब राज्य कोरोना और बाढ़ जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है तो ऐसे में अपलन बंधोपाध्याय की राज्य को जरूरत नहीं है, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसे भली भांति जानती हैं, इसीलिए उन्होंने केंद्र सरकार द्बारा अलपन को दिल्ली तलब किए जाने के आदेश के खिलाफ मोर्चा खोला। शायद, अलपन भी ममता की इस भावना को समझ पाए, इसीलिए उन्होंने केंद्र का आदेश मानने के बजाय सेवानिवृत्त लेने का रास्ता चुना। और ममता बनर्जी ने उन्हें अपना सलाहाकार बना दिया। यानि वह मुख्य सचिव रहते भी मुख्यमंत्री के सबसे अधिक भरोसेमंद अधिकारी रहे और सेवानिवृत्ति के बाद सलाहकार बनने के बाद भरोसेमंद ही बने हुए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्बारा अलपन मामले में केंद्र से दो-दो हाथ करने और उन्हें अपना सलाहाकार बनाए जाने से एक बात तो साफ है कि वह अलपन की राज्य के लिए अभी भी बहुत जरूरत समझती हैं और उनके अनुभव का लगातार लाभ उठाना चाहती हैं, क्योंकि राज्य गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। ममता बनर्जी अलपन की कर्तव्यनिष्ठा को जानती हैं, इसीलिए उन्होंने केंद्र को लिखी पांच पेज की चिट्टी में इस बात का भी जिक्र किया है कि अपनी व्यक्तिगत ट्रजेडी के बाद भी वह लगातार राज्य के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि, ट्रेजडी का जिक्र उन्होंने पत्र में नहीं किया है, पर हम आपको यहां पर बता देते हैं कि हाल ही में अलपन बंधोपाध्याय के बड़े भाई अंजन भट्टाचार्य की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी। वह पश्चिम  बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार थे। व्यक्तिगत नुकसान के बीच भी राज्य को कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए अलपन गंभीरता से काम करते रहे हैं। 

 1987 बैच के आईएएस अधिकारी अलपन पहले हावड़ा, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों के जिला मजिस्ट्रेट थे। उन्होंने कोलकाता नगर आयुक्त के रूप में भी काम किया है। इसके अलावा कई विभागों, जैसे-परिवहन, लघु और मध्यम उद्यम, वाणिज्य और उद्योग, सूचना और संस्कृति, और गृह प्रमुख सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंनेे 2015 में अंतरिम राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में भी काम किया। उन्होंने 2017 में 'अमलर सोम' नाम की एक किताब भी लिखी है।

पर्सनल लाइफ की बात करें तो अलपन ने प्रसिद्घ कवि स्वर्गीय निरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती की पुत्री सोनाली चक्रवर्ती से विवाह किया। शिक्षा के क्षेत्र में अलपन बंधोपाध्याय की पी यानि पत्नी अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहीं हैं और वर्तमान में वह कोलकाता यूनिवर्सिटी की वीसी यानि वाइस चांसलर हैं। पश्चिम बंगाल में कोरोना के पहले रिपोर्ट किए गए मामले के संपर्क में आने पर उन्हें और उनकी पत्नी को क्वारंटीन कर दिया गया था। फिलहाल, उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहाकार के रूप में अपना काम शुरू कर दिया है। और उम्मीद है कि लंबे समय तक ममता बनर्जी उनके अनुभव का लाभ उठाती रहेंगी।



 

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