क्या जीत बरकरार रख पाएंगे अर्जुन मुंडा या पिछली हार को जीत में बदल पाएंगे कालीचरण मुंडा...?

 लोकसभा चुनाव (loksabha election 2024) के मद्देनजर झारखंड ( jharkhand ) में खूंटी लोकसभा सीट (khuti loksabha seat) की चर्चा जोरशोर से हो रही है, क्योंकि हमेशा से हॉट रही इस सीट पर इस बार भी चुनावी मुकाबला कड़ा होने वाला है। यहां इस बार भी मुख्य मुकबला दो बड़ी पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस (Congress) के बीच ही है। 



बीजेपी (BJP) से अर्जुन मुंडा प्रत्याशी हैं जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक कालीचरण मुंडा को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है। यहां कड़े मुकाबले की उम्मीद इसीलिए अधिक है क्योंकि पिछले चुनाव का फैसला बहुत कम अंतर से हुआ था, हालांकि जीत अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) की हुई थी, उन्होंने सियासी मैदान में कालीचरण मुंडा (Kaali charn Munda) को महज़ 1445 वोटों के अंतर से हराया था, इसीलिए जहां राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और वर्तमान में मोदी सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, वहीं, कालीचरण मुंडा पिछले चुनाव में बहुत कम अंतर से मिली हार की वजह जीत को लेकर उत्साहित दिख रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा को 382638 मत मिले थे, वहीं कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले थे। 

2014 के चुनाव में भी इस सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की थी। उस दौरान भाजपा के करिया मुंडा सांसद चुने गए थे। वैसे, पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने यहां से आठ बार चुनाव जीत कर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। अब तक इस संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में कांग्रेस को मात्र दो बार ही सफलता मिली है। कांग्रेस को सबसे पहली सफलता 1984 में मिली थी, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति के सहारे कांग्रेस प्रत्याशी साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे और दूसरी सफलता 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को मिली थी, जब उन्होंने भाजपा के कड़िया मुंडा को शिकस्त दी थी। उसके बाद कांग्रेस को कभी जीत नसीब नहीं हुई, लिहाजा उसे यहां सख्त जीत की तलाश है। इससे और पीछे जाकर देखें तो खूंटी लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1962 में लोकसभा चुनाव हुआ था। इस चुनाव में यहां से झारखंड पार्टी के जयपाल मुंडा पहली बार सांसद चुने गए थे। वहीं, 1967 में उन्होंने फिर से इस सीट पर चुनाव जीता। 1971 में झारखंड पार्टी के ही निरल एनेम होरो इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे, इसीलिए खूंटी को झारखंड पार्टी की परंपरागत सीट माना जाता था, पर एनई होरो के निधन और झारखंड पार्टी का जनाधार कम होने के बाद इस सीट पर बीजेपी ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया।

दरअसल, यहां सियासी मुकाबला इसीलिए भी हॉट रहता है, क्योंकि खूंटी लोकसभा सीट मुख्य रूप से मुंडा जनजातियों के लिए जाना जाता है, जब चुनावी मैदान में दोनों छोर से मुंडा मैदान में हो तो इस सीट को हॉट सीटों की श्रेणी में रखना लाजिमी होगा ही। बता दें कि खूंटी का नाम पहले खुंति था, लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया। कुछ मान्यताओं में इसका नाम महाभारत की कुंती से भी जोड़ा जाता है, इसके अलावा इस इलाके की पहचान महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के नाम से भी है।

इस बार की स्थिति को देखें तो दो बड़ी राजनीतिक दलों में हुए सीधा चुनावी मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के लिए एक ओर जहां भारत आदिवासी पार्टी ने पत्थलगड़ी को लेकर चर्चित बबीता बेलोशा कच्छप भी मैदान में उतारा है, वहीं झारखंड पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एनोस एक्का भी लोकसभा चुनाव में खूंटी सीट से प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुके हैं। बबीता बेलोशा कच्छप ने सात वर्ष पहले गैर संवैधानिक पत्थलगड़ी आंदोलन में काफी सूर्खियां बटोरी थी और भारत आदिवासी पार्टी के राजस्थान में तीन और मध्य प्रदेश में एक विधायक हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दो मुंडाओं के सियासी मुकाबले में ये दोनों प्रत्याशी कहां तक टिक पाते हैं। 


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