Jharkhand में गहरी होती भ्रष्टाचार की जड़े
Jharkhand एक अलग राज्य बना तो एक उम्मीद की किरण भी जागी थी कि प्रदेश के लोगों का भविष्य संवरेगा, लेकिन यहां सबकुछ उल्टा हो रहा है, क्योंकि जिन लोगों पर प्रदेश बदलने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही प्रदेश को लूटना शुरू कर दिया। आज आलम यह है कि भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कलंक अगर किसी राज्य पर लगा रहा है तो वह झारखंड है। ईडी द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किए जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस कड़ी में ईडी ने कांग्रेस नेता और प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अब अगली बारी किसकी होगी, यह सवाल सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
बता दें कि लोकसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच आलमगीर आलम के पीएस के घरेलू नौकर के यहां ईडी की दबिश में करीब 35 करोड़ की रकम मिली थी, जो धनराशि ईडी ने पिछले हफ्ते ही जब्त की। दअसल, यह छापेमारी झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता से जुड़े मामले में हुई थी, जिसे ईडी ने पिछले वर्ष धनशोधन के मामले में गिरफ्तार किया था। धनशोधन का सिरा मंत्री के निजी सचिव और उसके घरेलू सहायक से भी जुड़ा हुआ था, इसलिए ईडी ने उसे जांच और कार्रवाई के दायरे में लिया।
यहां कहानी सिर्फ
नेताओं के भ्रष्टाचार में शामिल होने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राज्य की ब्यूरोक्रेसी में भी भ्रष्टाचार की जड़े
गहरी होती जा रही हैं। हम सब जानते हैं कि समाज में बदलाव लाने की चाहत रखने वाले
युवा ही इस सर्विस को चूज करते हैं, क्योंकि
प्रशासनिक, पुलिस और इससे संबंधित अन्य सेवाओं में जाने के बाद ऐसे
युवाओं को सीधे तौर पर समाज के लिए काम करने का मौका मिलता है, लेकिन समय-समय ब्यूरोक्रेट्स के घोटालों और भ्रष्टाचार
में नाम आने के बाद निश्चित ही आश्चर्य होना लाजिमी है और देश की इस प्रतिष्ठित
सेवा में जाने वाले चेहरों पर भी सवाल खड़े होने लगते हैं। जिन अधिकारियों पर आम
जनता का विश्वास होता है, अगर, वही इस तरह से भ्रष्टाचार और घोटालों में लिप्त हो जाए तो
कैसे समाज में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। झारखंड में एक नहीं, बल्कि कई अधिकारियों का भ्रष्टाचार और घोटालों से नाम जुड़
चुका है। सीनियर आईएएस अफसर पूजा सिंघल का मामला हो या आईएएस छवि रंजन का मामला।
इन दोनों मामलों ने झारखंड ही नहीं, पूरे देश
की ब्यूरोक्रेसी में भूचाल ला दिया था।
सीनियर आईएएस अफसर पूजा सिंघल वाले प्रकरण के बाद लग रहा था कि इससे दूसरे अफसर सबक लेंगे, लेकिन ऐसा होता दिखा नहीं, क्योंकि इसके कुछ समय बाद सेना की करोड़ों के जमीन घोटाले में ईडी ने आईएएस अफसर छवि रंजन को गिरफ्तार किया तो झारखड़ पर लगे भ्रष्टाचार का कलंक और गहरा हो गया, जिस तरह से पूजा सिंघल प्रकरण में कई चेहरे बेनकाब हुए थे, ठीक उसी प्रकार छवि रंजन के प्रकरण में भी कई ऐसे चेहरों से पर्दा उठा, जो भ्रष्टाचार के इस खेल में संलिप्त थे।
दरअसल, छवि रंजन
ने जालसाजी कर खरीदी गई जमीन के म्यूटेशन के लिए एक करोड़ की रिश्वत ली थी और
रांची के न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन के गोवा टूर और
प्रवास का खर्च उठाया था। 2011 बैच के
आईएएस अधिकारी का विवादों से पुराना नाता रहा था। वर्ष 2015 में
कोडरमा जिला में बतौर उपायुक्त की पोस्टिंग के दौरान उन पर अवैध रूप से कीमती पेड़
सागवान और शीशम की लकड़ियों को कटवाने का आरोप लगा था। इसी प्रकार वर्ष 2020 में जब
रांची के उपायुक्त बने तो यहां भी उन्होंने गड़बड़ी की थी। छवि रंजन को पूर्व मुख्यमंत्री
हेमंत सोरेन का बेहद करीबी माना जाता था, लेकिन उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस रांची में
उनकी हनक थी, उनके एक इशारे
पर बड़े-बड़े जमीन कारोबारी, व्यवसायी
और अधिकारी आदेशपाल की तरह उनके सामने खड़े रहते थे, उसी रांची में हाथ बांध कर एक झटके में जेल भेज दिया जाएगा,
लेकिन बुरे काम का नतीजा भी
बुरा ही होता है। पर यहां सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि जब झारखंड जैसे
संसाधनों से भरपूर राज्य में मुख्यमंत्री, मंत्री, ब्यूरोक्रेट्स, कारोबारी
और इनसे जुड़े लोग एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले में ईडी की रडार पर आ रहे
हैं और जेल जा रहे हैं, उससे प्रदेश की जनता का क्या
होगा, क्योंकि जिस जनता के अथक प्रयासों के बाद बिहार से अलग होकर
झारखंड राज्य बना, अब उनके सपनों का क्या होगा ? क्या जहां मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, ब्यूरोक्रेट्स
से लेकर कारोबारियों तक भ्रष्टाचार में डूबे हों, उस प्रदेश की जनता के सपनों को पंख कैसे लग सकते हैं ?
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