चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चाबंदी बेहद जरूरी


 जिस तरह उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के पुराने शहर में चलाये गये तलाशी अभियान में चीन और पाकिस्तानी झंडे व अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है, वह बहुत चकित तो नहीं करता है, लेकिन चिंता की लकीरें अवश्य गहरी करता है, क्योंकि चीन जिस प्रकार पाकिस्तान को हर कदम पर साथ दे रहा है, वह बेहद चिंताजनक है, क्योंकि चीन की चाल पाकिस्तान की सह पर आंतक व आंतकवादियों को ताकत देने का काम कर रही है। जो भारत के लिए तो चिंताजनक है ही, बल्कि उस मुहिम के खिलाफ भी है, जो आंतक व आंतकवादियों के खात्मे के लिए चल रही है। ऐसे में क्या चीन की पाकिस्तान से मिलीभगत आंतकवाद के खिलाफ उसकी सहभागिता कम नहीं करती है ? इस पर अंतराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान बेहद जरूरी है। जिस प्रकार चीन पाकिस्तान को खुलेतौर पर समर्थन दे रहा है, वह निश्चिततौर पर आंतक के खिलाफ चल रही मुहिम पर करारा तमाचा है। 
  चाहे दुनिया का कोर्इ भी देश हो, उसकी तरफ से होने वाली ऐसी हरकतों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में ऐसे परोक्ष व अपरोक्ष रूप से आंतक व आंतकवाद के समर्थक देशों की खिलाफत तो जरूरी है ही, लेकिन जिस पर चीन महज भारत के खिलाफ पाकिस्तान को ताकत देने का काम कर रहा है, ऐसे में भारत के लिए भी जरूरी है कि वह चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चेबंदी पर काम करे। यह बात दीगार है कि चीन का भारत के बड़े बाजार पर कब्जा है। तरह-तरह के चीनी उत्पाद भारतीय बाजार में दिखते हैं। चीन के बारे में यह बात कई बार जगजाहिर होती आई है कि वह अपने घटिया उत्पादों के माध्यम से भी भारतीय जनमानस को नुकसान पहुंचा रहा है, ऐसे में क्या अब यह नहीं लगता कि ऐसे चीनी उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार किया जाए ? यह बेहद ही सही वक्त है, क्योंकि भारत में त्योहारों का सीजन चल रहा है और इस दौरान चीन के उत्पादों की अच्छी-खासी भरमार भी रहती है और मांग भी। क्यों न हर भारतीय यह संकल्प लें कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान के माध्यम से शह-मात का ख्ोल ख्ोलने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए और उसके आर्थिक मोर्चे पर ऐसी चोट की जाए, जिससे वह घायल ही न हो बल्कि वह चोट उसके लिए नासूर बन भी जाए और वह इस बात का अहसास करे कि जिस भारत के खिलाफ वह चक्रव्यूह बुनने में लगा रहता है, उसकी वजह से ही तो वह आर्थिक शक्ति बना हुआ है। 
  अगर, इस मौके पर चीन के आर्थिक बाजार पर चोट की जाएगी तो निश्चित तौर पर यह चीन को सबक सिखाने के लिए काफी होगा। चीन के हर उत्पाद का बहिष्कार जरूरी है। जिस प्रकार कुछ समय के दौरान चीन के उत्पादों को लेकर देश के लोगों में रोष की स्थिति दिखी है, सोशल मीडिया में भी यह बात जोरशोर से उठ रही है, वह उत्साह वाली बात अवश्य है, क्योंकि इससे चीन को भी संदेश गया है। जिस तरह चीनी और पाकिस्तानी भाई-भाई का रिश्ता प्रगाढ़ हो रहा है, उससे भविष्य में भी अच्छे परिणाम सामने आने वाले नहीं हैं। उत्तरी कश्मीर में बारामुला जिले के पुराने शहर में जिस तरह से तलाशी अभियान के दौरान चीन और पाकिस्तान के झंडों के अलावा अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गयी, वह किसी-न-किसी बड़ी साजिश की ओर ईशारा करता है, जो चीन और पाकिस्तान मिलकर रच रहे थ्ो। चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान 36 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया गया। यह बात अवश्य चौंकाती है कि नब्बे के दशक में आतंकवाद के फैलने के बाद से पहली बार सुरक्षा बलों ने कश्मीर घाटी में चीन के झंडे बरामद किए हैं, इससे पूर्णतया साबित होता है कि लगातार चीन पाकिस्तान को भारत के खिलाफ तैयार कर रहा है। और चीन से ताकत लेने के बाद पाकिस्तान भारत के खिलाफ आंतकवादियों को तैयार कर रहा है। 
  घाटी में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी और दो अन्य आतंकवादियों के मारे जाने के अगले दिन नौ जुलाई से ही अशांति का दौर जारी है। खुफिया सूचना के आधार पर सेना और अन्य सुरक्षा बलों ने बारामुला में पुराने शहर की घेराबंदी कर दी और निकासी के सभी मार्गों को बंद करने के बाद घरों में तलाशी अभियान चलाया। अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने 36 से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया और उनके पास से जिस प्रकार पेट्रोल बम, चीनी और पाकिस्तानी झंडे, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के लेटर पैड, मोबाइल फोन और राष्ट्र विरोधी प्रचार सामग्री व अन्य आपत्तिजनक सामग्री मिली है। वह बड़े साजिश की योजना का खुलासा करती है। ऐसे में भारत को चीन की चाल को दिमाग में रखना होगा और उसके आर्थिक मोर्चेबंदी पर तेजी से काम करना होगा, जिससे उसे यह समझ आ जाए कि बुरे का साथ देने का परिणाम भी बुरा ही होता है। 




1 comment:

  1. बेहद शानदार ज्ञानवर्धक। चीनी उत्पादों का बहिष्कार ही भारतीयों का वास्तविक सर्जिकल स्ट्राइक होगा।

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