नोटबंदी : लोगों के ध्ौर्य की करनी होगी तारीफ


 केन्द्र सरकार द्बारा 5०० व 1००० रुपये के नोट प्रतिबंधित किये जाने के बाद देश के हर बैंक व एटीएम बूथ पर लोगों की भारी भीड़ नजर आ रही है। चाहे भोर के उजाले का वक्त हो या फिर देर रात का समय। लोगों में नोट बदलने, जमा करने व निकालने की ऐसी होड़ नजर आ रही है, शायद ही इस तरह का माहौल कभी बैंकों व एटीएम बूथों पर नजर आया हो, लेकिन तारीफ की बात यह है कि लोगों ने ध्ौर्य को बनाया हुआ है। घंटों लाइन पर खड़े रहने के बाद भी उनके मन में कहीं-न-कहीं इस बात की उमंग है कि देश में कालाधन व भ्रष्टाचार खत्म होगा, लिहाजा वे पीएम मोदी के इस मिशन में जैसे अपना पूरा सहयोग दे रहे हों। इस बीच में हो रही राजनीति आश्चर्य जरूर पैदा करती है। भले ही आम लोगों में केन्द्र सरकार के फैसले का कोई भी विरोध नहीं दिख रहा हो, लेकिन विरोधी पार्टियां इस मुद्दे को मसाला बनाने में जुटे हुए हैं। किसी नेता को इसमें घोटाला नजर आ रहा है तो किसी को लोगों की परेशानी से पीड़ा हो रही है। 
  पीएम मोदी ने गाजीपुर में आयोजित सभा के दौरान जिस तरह यह माना कि उन्हें लोगों की परेशानी से पीड़ा ही नहीं हो रही है, बल्कि वह लोगों की पीड़ा को दिल से अनुभव भी कर रहे हैं। उनकी सभा में भारी जनसैलाब उमड़ा था। हर कोई हाथ पीएम मोदी के समर्थन में खड़ा हो पड़ा, क्योंकि हर आम व्यक्ति परेशान है भ्रष्टाचार और कालेधन के कारोबार से। देश में आकूत धन है। इस देश में सोने की चिड़िया बनने का माद्दा है, लेकिन सोने की चिड़िया बने तो बने कैसे ? क्योंकि देश का अधिकांश धन तो कुछ ही भ्रष्ट नेताओं, अफसरों व कारोबारियों के पास है। आजादी के छह दशक गुजर जाने के बाद भी आम आदमी आज भी निचली सीढ़ी पर बैठा हुआ है। उसे इस बात का इंतजार है कि वह कैसे सीढ़ी के ऊपरी पायदान पर पहुंचेगा। जब भी वह ऊपर बढ़ने की कोशिश करता, उसे नीचे धकेल दिया जाता है। बड़े नोटों को प्रतिबंधित किये जाने के बाद आम आदमी को यह अनुभव अवश्य हो रहा है कि आज वह उन अमीरों से भी कितना है अमीर है, जिसने न तो किसी की गाढ़ी कमाई अपने घर में छुपाई है और न ही देश का टैक्स चोरी किया है। 
  आम लोगों को तो लाइन में खड़े होने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उन लोगों को अवश्य परेशानी हो रही है, जिनके घरों में कालाधन छुपा हुआ है। ऐसे भ्रष्टचारी और टैक्स चोर नेता, अफसर और कारोबारी धीरे-धीरे सामने आयेंगे। 5०० और 1००० रुपये के नोट बंद होने से लोगों में काले धन से निपट लेने का हौसला जगा है, इसीलिए वह घंटों कतार में खड़े होने का धैर्य बनाए हुए है। लेकिन आम लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सरकार को कुछ तात्कालिक कदम उठाने पर जोर देना होगा। जैसे खराब एटीएम्स को ठीक कराना, बैंकों व एटीएम बूथों पर कैश की अधिक से अधिक उपलब्धता के साथ-साथ सरकारी स्तर पर सक्रियता को बढ़ाना जरूरी होगा, जिससे आम आदमी को परेशानी से जल्द निजात मिल सके और बैंकिंग और एटीएम व्यवस्था सामान्य हो सके। 


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