आम लोगों की तरह पार्टियां भी करें सरकार को सहयोग
आज संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो जाएगा, जो अगले माह 16 दिसंबर तक चलेगा। नोटबंदी पर जिस तरह विपक्षी पार्टियां मुखर दिख रहीं हैं, उससे साफ है कि शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार होना है। कांग्रेस के नेतृत्व में जहां विभिन्न पार्टियां संसद में सरकार को घ्ोरने की रणनीति बना चुकी हैं, वहीं सरकार भी अपने फैसले पर अडिग है। और वह किसी भी स्थिति में नोटबंदी के अपने फैसले को वापस लेने के मूड में नहीं है। हां, सरकार जिस तरह आम लोगों की दिक्कतों को लेकर चितिंत है, यह अच्छा है, क्योंकि सरकार लोगों की समस्याएं जल्द से जल्द समा’ करने को लेकर प्रतिबद्ध दिख रही है।
बैंकों व एटीएम बूथों पर कैश की उपलब्धता बढ़ाए जाने से लेकर नोट लेने व जमा करने के बीच हो रहे घालमेल को समझते हुए सरकार जो तरकीब निकाल रही है, उससे निश्चित तौर पर ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ दिनों में बैंकों व एटीएम बूथों पर भीड़-भाड़ की समस्या थोड़ी कम हो जाएगी। और हर हाथ में नई करेंसी पहुंच सकेगी। जहां तक शीतकालीन सत्र का सवाल है, वह भी महत्वपूर्ण है। पार्टियों को महज इस शीतकालीन सत्र को नोटबंदी के विरोध के भ्ोंट नहीं चढ़ने देना चाहिए, क्योंकि इससे अन्य फैसलों पर तलवार लटकी रह जाएगी। नोटबंदी को लेकर अगर, सरकार और विपक्षियों के समक्ष आमने-सामने वाली स्थिति बन भी रही है तो इसके लिए दोनों पक्षों की तरफ से बेहतर तैयारी बहुत जरूरी है। जैसा कि कांग्रेस की अगुवाई में कई विपक्षी पार्टियां टीएमसी, लेफ्ट व आरजेडी सहित कई अन्य दलों ने सरकार को संसद में घ्ोरने की तैयारी के लिए बैठक की है। वहीं, मंगलवार को भी इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया। दूसरी तरफ, सरकार भी इस मामले में ढीली नहीं पड़ना चाहेगी, इसीलिए सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थिति साफ करने की कोशिश की है। देखने वाली बात संसद के इस सत्र को सुचारू रूप से चलाये जाने का है। जहां तक विपक्षी पार्टियां सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का दवाब बनाना चाहती हैं, वहीं सरकार किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हट सकती है, क्योंकि वह किसी भी स्थिति में अपनी फजीहत नहीं कराना चाहेगी। यह समय आम लोगों की तरह सरकार के लिए भी चुनौती भरा है। आम लोगों के सामने बैंकों व एटीएम बूथों पर घंटों कतार में खड़े रहने की चुनौती है तो सरकार के समक्ष यह चुनौती है कि लोगों तक नई करेंसी को पहुंचाने में तेजी कैसे लाई जाए? बैंकिंग और एटीएम व्यवस्था को सामान्य कैसे किया जाए? सरकार इस मामले में युद्धस्तर पर काम कर रही है, लेकिन धीरे-धीरे सरकार की वह व्यापक तैयारी भी सामने दिख्ो, जिससे आम लोगों की समस्याएं कम हो सके। उनमें सरकार के प्रति किसी भी तरह का आक्रोश पैदा न हो।
दूसरा, सरकार के लिए संसद में विपक्षी पार्टियों का मंुह बंद करना भी आसान होगा। जहां तक विपक्षी पार्टियां का सवाल है, उन्हें भी इस मामले को बेवजह आगे घसीटने से बचना होगा। कालाधन और भ्रष्टाचार देश की जड़ तक फैल चुका है। अगर, सरकार के पास बड़े नोटों को बंद करके उक्त दोनों समस्याओं से निपटने का प्लान है तो सभी को उसमें सहयोग करना चाहिए, क्योंकि यह तात्कालिक प्रभाव देने के साथ-साथ दूरदर्शी प्लान भी है। अगर, आम लोग उसमें सरकार को सहयोग दे रहे हैं तो विपक्षी पार्टियों को भी इसमें आगे आना होगा।
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