कोर्ट की तल्खी से सबक लें राज्य सरकारें


 अब राज्यों व नेशनल हाइवे पर या उसके आसपास शराब की बिक्री नहीं हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शराब की बिक्री पर रोक लगेगी तो जाहिर सी बात है हाइवेज पर होने वाले सड़क हादसों में कमी आयेगी। जिस प्रकार शराब के नश्ो में गाड़ी चलाने का चलन बढ़ रहा है, कोर्ट के फैसले के बाद इसमें निश्चित तौर पर कमी देखी जाएगी। सड़क यात्रा के दौरान जितने भी बड़े हादसे होते हैं या जिन हादसों में लोग अपनी जान गंवाते हैं, उनमें नेशनल के साथ-साथ राज्य हाइवे प्रमुख तौर पर शामिल रहते हैं। लंबी दूरी तय करने के उतावलेपन में जिस तरह लोग अंधाधुंध रफ्तार में गाड़ियों को भगाते हैं, वह कई बार काल का गाल साबित हो जाता है। 
  इसमें ज्यादातर हादसों के पीछे शराब पीकर गाड़ी चलाना शामिल रहता है। इसे लोग गाड़ी चलाने के दौरान शौक के तौर पर लेने लगे हैं, जो बेहद खतरनाक है। शराब पीकर न केवल गाड़ी की स्पीड़ जरूरत से ज्यादा हो जाती है, बल्कि तभी यातायात नियमों को भी तांक पर रखा जाता है। इस दौरान सबसे बड़ी चिंता की बात यह रहती है कि जो लोग यातायात नियमों के तहत गाड़ियां चलाते हैं, वे भी दूसरे की गलती का आसानी से शिकार हो जाते हैं। कुल मिलाकर हाईस्पीड और शराब पीकर गाड़ी चलाने से स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए खतरा रहता है। अगर, हाइवे व हाइवे के आसपास शराब की उपलब्धता नहीं रहेगी तो निश्चिततौर पर शराब पीकर गाड़ी दौड़ाने के मामलों में कमी आएगी। इसका फायदा यह होगा कि हादसों में गिरावट आएगी। प्रतिवर्ष सड़क हादसों में लगभग डेढ़ लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। इसमें अधिकांश हादसे यातायात नियमों का पालन नहीं करने की वजह से होते हैं और नियमों का पालन वे लोग नहीं करते हैं, जो ड्राइविंग के दौरान शराब पीते हैं। अगर, लोग ड्राइविंग के दौरान इसे शौक में शुमार कर लिया जाएगा तो उसके नतीजे भी अच्छे नहीं होंगे। इसीलिए इस बात की जरूरत महसूस की जा रही थी कि अगर हाइवे के आसपास शराब की उपलब्धता ही नहीं रहेगी तो गाड़ी चलाने के दौरान शराब पीने के चलन में अवश्य कमी आएगी। 
   कोर्ट ने हाइवे पर शराब बिक्री को लेकर पहले भी नाराजगी जाहिर की थी। हाल ही में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने राजमार्गों से शराब की दुकान हटाने की केंद्र की नीति पर अमल नहीं होने को लेकर राज्य सरकारों, खासकर पंजाब और पांडिचेरी प्रशासन पर तल्ख टिप्पणी की थी। कोर्ट ने केंद्र की नीति को सही ठहराया था। सच भी यही है कि पैसा बनाने के चक्कर में अधिकांश राज्य सरकारें शराब बिक्री के लिए लाइसेंसों की बंदरबांट, जिस तरह करते हैं, उससे तो यही लगता है कि राज्य सरकारें इस पर लगाम लगाने के पक्ष में नहीं रहे हैं। बिहार को छोड़ दें तो देश के अन्य राज्यों की सरकारें शराब की बिक्री को धड़ल्ले से बढ़ावा दे रही हैं, जिस प्रकार समय के साथ-साथ देश में हाइवे बढ़ रहे हैं, ऐसे में शराब की खपत भी बढ़ रही है और हादसों में इजाफा होता जा रहा है। अगर, कोर्ट और केन्द्र सरकार इसको लेकर गंभीर हैं तो राज्य सरकारों को भी इसमें साथ देना चाहिए और कोर्ट ने जो समयावधि निर्धारित की है, उसके बाद हाइवे व उसके आसपास शराब की बिक्री की पूर्ण पांबदी सुनिश्चित करने के जरूरी उपाय सुनिश्चित करने होंगे। 



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