धोनी ने क्रिकेट को बनाया जोश और जज्बे का प्रतीक
दुनिया के सफलतम क’ानों में से एक एम एस धोनी ने टी-2० व वनडे टीम की क’ानी छोड़ने के ऐलान करने के साथ ही सबको चौंका दिया, लेकिन इससे धोनी ने एक बड़ी मिसाल भी पेश की। जिस कूल माइंड के लिए वह क्रिकेट पिच पर हिट रहे, उसी कूल मन से क’ानी छोड़ना धोनी को एक अलग कतार में खड़ा करता है। अपने रिकॉर्डों की परवाह किये बगैर टीम व देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा क’ानी छोड़ने के वक्त में भी धोनी में देखने को मिला। ऐसा फैसला एक साहसिक खिलाड़ी ही ले सकता है। मैदान में हमेशा साहसिक फैसले लेने वाले धोनी के लिए यह बड़ी बात नहीं थी।
उन्होंने अपने दमदार ख्ोल, शांत मिजाज और गजब की नेतृत्व क्षमता से भारतीय टीम को ऊंचाईयों पर पहुंचाया, बल्कि क्रिकेट में एक ऐसी परिपाटी को भी जन्म दिया, जिससे यह ख्ोल जोश और जज्बे का प्रतीक बन गया। नौजवान खिलाड़ियों में जोश भरने और उनमें दबाव को झेलने का जो जज्बा धोनी ने पैदा किया, शायद ही पहले कभी उनकी तरह कई विकल्पों पर काम करने का साहस किसी और क’ान ने किया हो। वह भी ऐसे वक्त में जब टीम या तो मंझधार में होती रही या फिर जीत के करीब होती है। जब मैदान में वह कोई ऐसे विकल्प पर भरोसा जताते तो उनकी आलोचना भी होती रही, लेकिन उनका प्रयोग बमुश्किल ही असफल हुआ होगा। इसीलिए क’ान के तौर पर क्रिकेट के मैदान में बेहतर मैनेजमेंट को भी धोनी भली-भांति जानते रहे।
वह नौजवान खिलाड़ियों को ही प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल नहीं करते थ्ो, बल्कि स्वयं को भी उसी श्रेणी में लेते रहे, तभी तो वह ऐसे वक्त में बल्ला लेकर मैदान में आते रहे, जब मुकाबला आर-पार का होता रहा, जब एक खिलाड़ी और क’ान के तौर काफी दबाव रहता है। ऐसे वक्त में जब अधिक मनोवैज्ञानिक दबाव रहता है। ऐसे में धोनी ने कई जीत भारत की झोली में डाली, तभी तो उन्हें दुनिया के महान फिनिशरों में एक माना जाता है। भले ही अब नए दौर पर चर्चा जोर-शोर से चल रही हो, भारतीय टीम कई मैचों में लगातार जीत दर्ज कर रही हो, लेकिन धोनी के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, उन्होंने क्रिकेट को जो कुछ दिया है, उसको आगे भी बरकरार रखना होगा। भले ही यह आसान ही नहीं चुनौतीपूर्ण हो। नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को उनसे सीखने की जरूरत होगी, क्योंकि अगर, खिलाड़ी के तौर पर लंबा और आकर्षक करियर बनाना है तो ख्ोल की बारीकियों को समझने के साथ-साथ क्रिकेट के बेहतर मैनेजमेंट, बेहतर व्यवहार कुशलता व उसकी चतुराई को भी समझना बेहद जरूरी होगा।
बेहद साधारण परिवार से आने के बाद भी धोनी ने ख्ोल की जिन ऊंचाईयों को छुआ है, वह कोई करिश्मे से कम नहीं है। ऊंचाईयों के बाद उन्होंने जिस तरह के शांत टैम्परामेंट को बनाये रखा, वह कोई मिसाल से कम नहीं है। अक्सर, जब सफलता किसी भी शख्स के लिए चरम पर होती है तो उसका टैम्परामेंट भी उसी तरह से उफान पर दिखने लगता है, लेकिन धोनी के चेहरे पर हमेशा शांति की लकीरें उसके बड़े व्यक्तित्व व संजीदगी को दर्शाने के लिए काफी रही हैं। भले ही वह अब भारतीय टीम का नेतृत्व न करें, लेकिन एक मेंटर के तौर उनसे अभी भी बहुत कुछ हासिल करने की जरूरत है। भारतीय टीम को भी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को भी।
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