पाक से आगे निकल गया 'बांग्लादेश’
सकारात्मक सोच आगे बढ़ने का सबसे प्राथमिक विकल्प माना जाना जाता है। यह व्यक्ति विश्ोष पर तो लागू होता ही, बल्कि जब देशों की बात की जाए तो यह वहां भी लागू होता है। 'भारत’ के दो पड़ोसी देशों 'पाकिस्तान’ और 'बांग्लादेश’ की 'तुलानात्मक समीक्षा’ की जाए तो अपनी सकारात्मक सोच के कारण आज बांग्लादेश, पाकिस्तान से कहीं आगे निकल गया है, जबकि बांग्लादेश का जन्म 1971 में हुआ था और पाकिस्तान का जन्म 1947 में हो गया था। लगभग दो दशकों के गैप के बाद भी बांग्लादेश ने आज पाकिस्तान को हर क्ष्ोत्र में पीछे छोड़ दिया है। चाहे वह 'अर्थव्यवस्था’ की दौड़ हो, रोजगार हों, निवेश हो, उद्योगों-धंधों में इजाफा हो या फिर आंतरिक संसाधनों में बेहतरी हो। इसके अतिरिक्त सबसे जो बड़ी बात है, वह है 'विश्व समुदाय’ में बेहतर छवि। बांग्लादेश ने आज दुनिया में तेजी से विकास करते हुए देशों की सूची में स्वयं को शामिल किया हुआ है, जबकि पाकिस्तान की छवि आज भी आंतकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के रूप में है। सबसे बड़ा कारण यही है कि पाकिस्तान आज हर मामले पिछड़ता जा रहा। कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। कभी 'अमेरिका’ के रहमो-करम पर जीता था और आज 'चीन’ के रहमो-करम पर जी रहा है।
1971 में जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान से लड़कर आजादी हासिल की थी तो उसकी स्थिति बेहद खराब थी। 1971 में जब बांग्लादेश युद्ध हुआ तो उसे पूरी तरह भारत की मदद के कारण ही आजादी मिल सकी थी। युद्ध से पहले पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) ने 197० में भयानक प्राकृतिक आपदा झेली थी, जिसका असर बाद के वर्षों में देखा गया। इस समुद्री तूफान में लाखों लोग मारे गए थ्ो। आलम यह रहा कि सड़क और रेल यातायात पूरी तरह ध्वस्त हो गया था, जो बचे थ्ो, वे युद्ध में पूरी तरह समा’ हो गए थ्ो। जब 'बंग बंधु मुजिबुर्रहमान’ देश के प्रथम 'प्रधानमंत्री’ बने तो तब उन्होंने कहा था कि जाते-जाते पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) ने पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) को पूरी तरह तबाह कर दिया है।
इस तबाही की वजह से बांग्लादेश दाने-दाने को मोहताज था। लोगों के पास न रहने के लिए छत था और न ही तन में पहनने के लिए कपड़ा। शुरूआत में बांग्लादेश में तो औद्योगिक विकास न के बराबर ही था। उसकी अर्थव्यवस्था में उद्योग की हिस्सेदारी महज 6 प्रतिशत ही थी, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में उद्योगों की हिस्सेदारी 2० प्रतिशत थी। सारे बैंक भी पाकिस्तान में ही थ्ो, जिन्होंने बांग्लादेश की मदद करने से सीध्ो तौर पर हाथ खड़े कर दिए थ्ो। एक दिलचस्प बात यह भी कि उस वक्त बांग्लादेश में एशिया का सबसे बड़ा जूट कारखाना था, जिसका मालिक पश्चिमी पाकिस्तान चला गया। इसका नतीजा यह हुआ कि वह जूट कारखाना बंद हो गया और बड़ी तादाद में मजदूर बेरोजगार हो गए। इस तरह की त्रासदी झेलने के बाद भी बांग्लादेश ने अपनी 'सकारात्मक सोच’ और अथक परिश्रम के बल पर महज चार दशक में ही पाकिस्तान को कहीं पीछे छोड़ दिया है। बांग्लादेश ने अपनी अर्थव्यवस्था को बेहद मजबूत कर लिया है। बांग्लादेश का मुख्य निर्यात सिले-सिलाए कपड़े हैं। यह भी सच्चाई है कि उसने आज सिले-सिलाए कपड़ों की मंडी में पाकिस्तान के अलावा भारत को भी पीछे छोड़ दिया है। 'वियतनाम’ तो बहुत पीछे चला गया है।
पाकिस्तान जनसंख्या में भी नियंत्रण नहीं कर पा रहा है, जबकि बांग्लादेश में ऐसा नहीं है। उसने जनसंख्या पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया है और पिछले 1० वर्षों में बांग्लादेश की जनसंख्या तेजी से घटी है। इसी वजह से है कि पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति सालाना आय 1००० डॉलर से कम है तो यह आकड़ा बांग्लादेश में 15०० डॉलर सालाना है। इससे दोनों देश के गैप का पता चलता है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में उद्योगों की भूमिका तेजी से बढ़ी है, जो इस वक्त 29 प्रतिशत है,जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में उद्योगों का प्रतिशत इससे भी बहुत कम रह गया है।
पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में नई सरकार बन गई है। उन्होंने चुनावों में तो बहुत से दावे किए ही थ्ो, लेकिन प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी उन्होंने कुछ अच्छे कदम उठाए हैं। इन कदमों से भले ही देश के अंदर लोकप्रियता हासिल की जा सकती है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान को आंतक का साथ छोड़ना होगा और देश के अंदर 'लोकतांत्रिक व्यवस्था’ को इस तरह से मजबूत करना होगा कि जिससे सरकार पर सेना का वर्चस्व कम हो सके। पाकिस्तान का बांग्लादेश से पिछड़ने का यह भी बड़ा कारण रहा है कि वहां लोकतांत्रिक सरकार की भूमिका सेना के आगे बहुत कम रही है। इसीलिए शुरू से ही उसका झुकाव आंतकवाद की तरफ रहा। उसका पूरा फोकस सीमाओं पर रहा कि किस प्रकार अपनी हरकतों की वजह से पड़ोसी देशों को नुकसान पहुंचाया जाता रहे।
अगर, देश को आंतकवाद की मंडी से बनाने से पाक गुरेज करता रहता तो उसकी तस्वीर आज अलग ही होती। बांग्लादेश आज अपने पैरों पर खड़ा है, जबकि पाकिस्तान दूसरों के रहमो-करम पर जी रहा है। कभी वह अमेरिका के रहमो-करम पर जीता रहा और अब चीन के रहमो-करम पर जी रहा है। यही वजह है कि आज पाकिस्तान की 'जीडीपी’ का 61 फीसदी से अधिक हिस्सा कर्ज के तले डूबा हुआ है। इन परिस्थितियों में उसको अगर, कोई चीज इन समस्याओं से बाहर निकाल सकती है तो वह एक सकारात्मक सोच। उसे यह सब भारत और बांग्लादेश जैसे देशों से सीखना चाहिए।
Post a Comment