मनरेगा पर फिसड्डी साबित हुये सरकार के दावे

- महामारी के दौर में भी केवल 13.53 लाख परिवारों को ही मिल पाया 100 दिन काम

- काम की कमी के चलते शहर लौटने को मजबूर हुये प्रवासी

कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार जिस महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी यानि मनरेगा योजना के तहत प्रवासियों को रोजगार देने के खूब दावे कर रही थी, जमीनी स्तर पर सरकार के ये दावे फिसड्डी साबित हुये हैं। इस बात की तस्दीक स्वयं केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आकड़े कर रहे हैं। मंत्रालय के आकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में भले ही 6.26 करोड़ परिवारों को काम मिला हो, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनमें से लगभग 13 लाख 53 हजार परिवारों को ही 100 दिन काम मिल पाया। इसका परिणाम यह हुआ कि मनरेगा कि भरोसे जो प्रवासी गांव में ही बसने का मन बना चुके थे, उन्हें भी वापस शहर की तरफ लौटने को मजबूर होना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी यानि मनरेगा योजना आय का सबसे बड़ा स्रोत है। इस योजना के तहत मिलने वाले काम से ही अधिकांश ग्रामीण अपने परिवार की गुजर-बसर करते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान बेरोजगार हुये प्रवासियों को रोजगार देने के लिये केंद्र सरकार ने इस योजना पर विोष जोर दिया था, जिससे शहरों से गांव लौटे प्रवासियों को रोजगार मिल सके। सरकार का लक्ष्य था कि ऐसे लोगों को अधिक से अधिक दिवस का काम मिल सके। पर 6.26 करोड़ परिवारों में से महज 13 लाख 53 हजार परिवारों को ही 100 दिन का काम मिलने से साफ जाहिर होता है कि जमीनी हकीकत सरकार के दावों से बिल्कुल अलग रही।

औसतन 199.2 रूपये प्रतिदिन दी गयी मजदूरी

आकड़ों के मुताबिक, जिन लोगों ने योजना के तहत काम किया, उन्हें औसतन 199.12 रुपये प्रति दिन मजदूरी दी गयी। अगर, औसतन काम के दिवसों की बात करें तो यह करीब 38 दिन होता है। यानि जहां 100 दिन काम देने की बात थी, वहां केवल 38 दिन ही काम मिला। इस हिसाब से अप्रैल से अक्टूबर तक एक परिवार की औसतन कमाई निकालें तो वह करीब 7,000 रुपये ही होती है, जो अपने-आप में चौंकाने वाला आकड़ा है।

68 हजार 298 करोड़ हो चुके हैं जारी

दीगार बात है कि मनरेगा केंद्र सरकार की बहुत बड़ी योजना है। ग्रामीण ईलाकों के लिये यह संजीवनी का काम करती है। जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत केंद्र सरकार अब तक लगभग 68 हजार 298 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है। हालांकि, जो इसका बजट है, वह लगभग 72,658 करोड़ रुपए का है। बची धनराशि आने वाले दिनों में जारी होगी। खास बात यह है कि अभी तक जितनी धनराशि जारी की जा चुकी है, उसमें से 90 फीसदी से भी अधिक की धनराशि खर्च भी की जा चुकी है, जो धनराशि  66 हजार 500 करोड़ के आसपास बैठती है। 

8.90 करोड़ जॉब कार्ड हैं एक्टिव

अगर, मनरेगा में काम करना है तो जॉब कार्ड की जरूरत होती है। अब तक 17.50 करोड़ जॉब कार्ड जारी हो चुके हैं। हालांकि, देा में अभी 8.90 करोड़ जॉब कार्ड एक्टिव हैं और एक्टिव कामगारों की संख्या 13.80 करोड़ के आसपास है, पर लाकडाउन से लेकर अब तक के समयावधि के दौरान 9 करोड़ 59 हजार कामगारों को काम दिया गया। 


No comments