कोरोनाकाल में सुस्ती से दूर है प्रौद्योगिकी सेक्टर
- 10 प्रतिशत वार्षिक वृद्घि के साथ बढ़ रहा आगे
- 2025 तक
350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है सालाना राजस्व
कोविड-19 के चलते उद्योगों में सुस्ती है, जिसके चलते लोगों की नौकरियां भी जा रही हैं। लेकिन इस भयंकर संकटकाल में भी प्रौद्योगिकी क्षेत्र यानि आईटी सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है। आईटी सेक्टर संकट के इस दौर में भी
10 प्रतिशत वार्षिक वृद्घि के साथ आगे बढ़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी 2025 तक भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र का सालाना राजस्व 300 से 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैस्कॉम) द्बारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई है।
उल्लेखनीय है कि गत वषों में दुनियाभर के उद्योगों ने डिजिटलीकरण में तेज रफ़्तार देखी है। इसीलिए प्रौद्योगिकी संचालित कंपनियां अब विश्व स्तर पर तेजी से सुधार की तरफ बढ़ रही हैं। यही वजह है कि कोरोना संकटकाल में जब दुनिया में अन्य तरह के उद्योगों में संकट के बादल मंडराए हुए हैं, वहीं आईटी सेक्टर बेहतर ग्रोथ के साथ आगे बढ़ रहा है। उपभाक्ताओं की लगातार विकसित होने वाली जरूरतों के साथ, उद्यम निरंतर नवाचार के साथ चल रहे हैं, जिससे प्रौद्योगिकी के वैश्विक बाजार में तेजी से बदलाव हो रहा है और व्यापार में बेहतर वार्षिक ग्रोथ बनी हुई है, कुल मिलाकर प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले दशक में शेयरधारकों और निवेशकों के लिए उच्च रिटर्न उत्पन्न कर रहा है।
नैस्कॉम की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटे तौर पर मूल्यवान होने के नाते वर्तमान समय में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र अब दुनियाभर में आर्थिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक है, विशेष रूप से भारत में। प्रौद्योगिकी क्षेत्र अब देश के निर्यात का लगभग 27 प्रतिशत उत्पादन करता है और लगभग 4.4
मिलियन लोगों को आजीविका प्रदान करता है। इसके बावजूद, पूरे क्षेत्र के कारोबारियों को प्रति कर्मचारी राजस्व में वृद्घि और उन्हें प्रदान करने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा, लेकिन इन परिस्थितियों में भी सरकार द्बारा डिजिटल सेवाओं में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना फायदेमंद साबित हो रहा है, वह भी निवेश में वृद्घि और डिजिटल कौशल के साथ।
रिपोर्ट में यह भी उम्मीद जताई गई है कि भारत के प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग के कारोबार में अगले पांच वर्षों में 2-4
की वृद्घि देखी जा सकती है। अगर, यह क्षेत्र क्लाउड, एआई, साइबर सुरक्षा और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में जीत हासिल कर सकता है, तो
2025 तक वार्षिक राजस्व 350 बिलियन अमरीकी डॉलर के आकड़े को आसानी से छू सकता है। बशर्ते, इसके लिए निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत और सरकार के हितधारकों के बीच घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता होगी। दूसरी तरफ, बैंकिग और वित्त, स्वास्थ्य सेवा, शासन, आदि जैसे क्षेत्रों में 50 से अधिक डिजिटल पहलों को बढ़ावा देते हुए, प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग समग्र अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत के योगदान के साथ भारत के डिजिटल सपने का प्रमुख चालक बना हुआ है। कोविड-19 महामारी के बीच भी जिस गति से लगभग हर क्षेत्र ने अपनी डिजिटल परिवर्तन यात्रा को तेज कर दिया है और बढ़ती क्लाउड खपत और लîनग (एआई) और मशीन लîनग (एमएल) जैसी अन्य डिजिटल सेवाएं डिजिटल और क्लाउड सेवाओं के लिए रास्ता बना रही हैं, वह कारोबार को बेहतर ग्रोथ देने में अहम भूमिका निभाएंगी।
नैस्कॉम की अध्यक्ष, देबजानी घोष के मुताबिक भारतीय प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र प्रभावी परिवर्तनकारी प्रथाओं के माध्यम से क्लाउड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लîनग आदि जैसी गहरी तकनीकों की क्षमता का उपयोग बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इसीलिए अच्छे ग्रोथ की कल्पना से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है। पर उन्होंने कहा कि ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिभा, ऊर्जा, कल्पना, ज्ञान और बेजोड़ प्रतिबद्घता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को डिजिटल साक्षरता और कौशल को प्रोत्साहित और समर्थन करने पर जोर देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगले दशक में प्रौद्योगिकी खर्च में वृद्घि देखी जाएगी, मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी के मूल क्षेत्रों और डिजिटल पुनर्निवेशकों के उदय, पारिस्थितिक तंत्र जैसे नए तकनीक-सक्षम व्यापार मॉडल आदि क्षेत्रों में, लिहाजा क्लाउड, एआई और साइबर सुरक्षा हाइपर स्केलर्स, नेक्स्ट-जेन कंपनियों, कारोबारियों और तकनीक के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले विशेषज्ञों के साथ प्रतिस्पर्धात्मक तीव्रता भी बढ़ेगी, पर जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा तेज होगी, प्रौद्योगिकी सेवाओं के अगले दशक में सफल होने के लिए पैमाना और विशेषज्ञता महत्वपूर्ण होगी। प्रदाताओं को अपनी सेवा लाइनों और पेशकशों को ताजा करने और इन्हें अधिक डिजिटल रूप से कुशल उद्यमों को पूरा करने के लिए प्रासंगिक रहने की आवश्यकता होगी, जो उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की अपेक्षा करते हैं, जो बहुत अलग खरीद व्यवहार है। उन्होंने कहा कि प्रतिभा भी एक प्रमुख अंतर होगी और अगली पीढ़ी की प्रतिभाओं को प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा भविष्य में बढ़ जाएगी। इन अवसरों का पीछा करने और समग्र विकास में योगदान करने के लिए, एक पूर्ण बदलाव की आवश्यकता भी होगी।
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